chapter 7 बुद्धि तथा बहुआयामी बुद्धी (Construct of Intelligence and Multi-Dimensional Intelligence)

बुद्धि तथा बहुआयामी बुद्धी (Construct of Intelligence and Multi-Dimensional Intelligence)   


बुद्धि का सवरूप : अर्थ और परिभाषा 
बुद्धि शब्द प्राचीन काल से व्यक्ति की तत्परता  समस्या समाधान की क्षमताओं के सन्दर्भ में प्रयोग होता है। सभी व्यक्ति समान योग्य नहीं होते। बौद्धिक योग्यता ही उनके आसमान होने का प्रमुख कारन है।  प्रत्येक मनोवैज्ञानिक का बुद्धि के सन्दर्भ में अलग  मत है।
वुडवर्थ के मतानुसार बुद्धि कार्य करने की विधि है
टर्मन के अनुसार बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है।
वुडरो के अनुसार बुद्धि ज्ञान का अर्जन करने की क्षमता है।
डियरबॉर्न के अनुसार बुद्धि सिखने या अनुभव से लाभ उठाने की क्षमता है।
हेनमान के अनुसार ज्ञान में दो तत्व होते है, ज्ञान की क्षमता और निहित ज्ञान।
बीने के अनुसार बुद्धि इन चार शब्दों में निहित है ज्ञान, अविष्कार, निर्देश, और आलोचना।
थार्नडाइक के मतानुसार सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रियाओं की शक्ति को ही बुद्धि कहते हैं।
पिंटनर के अनुसार नई परिस्थितियों में सामंजस्य बनाने की व्यक्ति की योग्यता को ही बुद्धि कहते हैं।
गाँल्टन के मतानुसार बुद्धि सिखने तथा पहचानने की योग्यता है।
बंकिघम के अनुसार सिखने की योग्यता को बुद्धि कहते हैं।


इन परिभाषाओं से पता चलता है की अतीत के अनुभवों से  परिस्थितियों और समस्याओं के साथ सामंजस्य बनाने उनको समझने और व्यापक रूप से देखने को ही बुद्धि कहते हैं। हम कह सकते हैं की बुद्धि निम्न प्रकार की योग्यता हैं।
1 सिखने की योग्यता
2 अमूर्त चिन्तन की योग्यता
3 समस्या के समाधान की योग्यता
4 अनुभव का लाभ उठाने की योग्यता
5 सम्बन्धों को समझने की योग्यता
6 अपने वातावरण  सामंजस्य करने की योग्यता

बुद्धि की विशेषता 
बुद्धि एक सामान्य योग्यता है जिससे व्यक्ति अपने आप को और दुसरो को समझते है। बुद्धि व्यक्ति की जन्मजात शक्ति है। यह व्यक्ति को  चिन्तन करने में सहायता करती है।  यह व्यक्ति को पूर्व के अनुभवों का वर्तमान में लाभ उठाने की क्षमता देता है। व्यक्ति की कठिन परिस्थितिओं को सरल बनाने में सहायता देती है।  यह व्यक्ति को भले बुरे , सत्य असत्य , नैतिक अनैतिक कार्यों में अंतर करने की योग्यता देती है। बुद्धि पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव पड़ता है।  प्रिंटर के अनुसार बुद्धि का विकास जन्म से मध्य किशोरावस्था तक चलता है

बुद्धि के प्रकार 
बुद्धि का विभाजन करना बहुत ही मुश्किल काम है। बुद्धि वह क्षमता है जिसका प्रयोग व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में करता है। गैरिट ने तीन प्रकार की बुद्धि का उल्लेख किया है।

1 मूर्त बुद्धि इस बुद्धि को यांत्रिक बुद्धि भी कहते हैं। इसका सम्बन्ध यंत्रों से होता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि होती है वह मशीनों के कार्य में रूचि लेता है। आतः इस बुद्धि के व्यक्ति अच्छे कारीगर या इंजीनियर होते हैं।

2 अमूर्त बुद्धि इस बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान से होता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि होती है वह ज्ञान अर्जन करने में रूचि रखता है। अतः इस बुद्धि के व्यक्ति डॉक्टर , वकील या दार्शनिक हो सकते हैं।

3 सामाजिक बुद्धि इस बुद्धि का सम्बन्ध व्यक्तिगत और सामाजिक कार्यों से होता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि होती है वह मिलान सार होता हैसामाजिक कार्यों में उसकी रूचि होती है। इस बुद्धि का व्यक्ति मंत्री , व्यवसायी तथा सामाजिक कार्यकर्ता बन सकता है।


थॉर्नडाइक के अनुसार बुद्धि के प्रकार 
अमूर्त बुद्धि  इस बुद्धि  की सहायता व्यक्ति ज्ञान का अर्जन करता है। शब्दों , प्रतीकों समस्या समाधान के रूप में अमूर्त बुद्धि का प्रयोग किया जाता है।
सामाजिक बुद्धि  बुद्धि के द्वारा व्यक्ति समाज के साथ सामंजस्य बनाता है। और विभिन्न व्यवसायों में सफलता प्राप्त करता है।
यांत्रिक बुद्धि इस बुद्धि से व्यक्ति यांत्रिक ज्ञान प्राप्त करता है ऐसे व्यक्ति कारीगर इंजीनियर और मिस्त्री बनते हैं। इससे पता चलता है की व्यक्ति की बुद्धि को एक विशेष मानसिक तत्व के रूप पहचाना जा सकता है।  तथा इसकी सहायता से व्यक्ति की योग्यताओं को सरलता से पहचाना जा सकता है।


बुद्धि निर्माण के सिद्धांत

वैज्ञानिकों ने बुद्धि निर्माण के निम्न सिद्धांत प्रतिपादित किये हैं। जो इस प्रकार हैं -

एक खंड सिद्धांत इस सिद्धांत के बारे में बीने महोदय ने 1911 बताया। बाद में इस सिद्धांत का समर्थन टर्मन , स्टर्न तथा एम्बिगहास ने भाई किया। इसके अनुसार बुद्धि सदैव एक खण्डात्मक भाग में होती है जिसकी मात्रा प्रत्येक व्यक्ति में अलग होती है। बुद्धि के एकछत्र राज्य के कारन इसे निरंकुशवादी सिध्दांत भी कहते हैं। बुद्धि सर्वव्यापी मानसिक शक्ति है। परन्तु यह सिद्धांत दोषपूर्ण है क्योंकि यह आवश्यक नहीं की कोई व्यक्ति कला में निपुण हो वह विज्ञानं में भी उतना ही निपुण हो। अतः यह सिद्धांत सर्वमान्य नहीं होगा। यदि हम इस सिद्धांत से सहमत हो भी जाएं तो भी हमें इसे खण्डों में बाँटना पड़ेगा। शुरू में इस सिद्धांत का बहुत स्वागत हुआ परन्तु बुद्धि क्या है ? इसका विशेष स्पष्टीकरण नहीं करता।
दो खंड का सिद्धांत इस सिद्धांत के विषय में स्पियर मैन ने बताया। उनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में बुद्धि दो प्रकार के खंंड होते हैं
१ सामान्य योग्यता या समान्य तत्व
२ विशिष्ट  योग्यता या विशिष्ट  तत्व
१ सामान्य योग्यता अथवा सामान्य तत्व
२ विशिष्ट  योग्यता अथवा विशिष्ट तत्व स्पीयरमैन ने इसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना  है। उनके अनुसार किसी व्यक्ति में ये कम  या अधिक हो सकते हैं।ये योग्यता व्यक्ति की विशेष योग्यताये  है।  ये योग्यताएं अर्जित की जा सकती हैं। ये योग्यताएं एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं। विभिन्न योग्यताओं का सम्बन्ध विभिन्न कुशल कार्यों से होता है। ये योग्यताएं भाषा दर्शन अादि में विशेष सफलता प्रदान करती हैं।

3 तीन खंड के सिद्धांत  यह सिद्धांत भी स्पीयरमैन की देन है। दो खंड का सिद्धांत बताने के बाद स्पीयर ने एक और सिद्धांत दिया। इसका नाम सामूहिक खंड रखा। इस योग्यताओं में उसने ऐसे योग्यताों को रखा जो सामान्य से अधिक तथा श्रेष्ट होती हैं इसलिए इसे मध्य योग्यता कहा जाता है। इस सिद्धांत को भी सभी लोगों ने सवीकार नहीं किया। क्रो बताते हैं की इसमें व्यक्ति पर वातावरण के प्रभाव की अपेक्षा वंशानुक्रम के प्रभाव को अधिक प्रभावी बताया गया है।

4 बहुखण्ड का सिद्धांत स्पीयरमैन के सिद्धांत को आगे बढ़ते हुए बहुत से मनोवैज्ञानिकों ने बहुखण्ड के सिद्धांत को प्रतिपादित किया है
1 कैली के अनुसार कैली ने नौ प्रकार की योग्यताओं का वर्णन किया है।
१. रूचि  २ गामक योग्यता ३ सामाजिक योग्यता ४ सांख्यिकी योग्यता ५ शाब्दिक योग्यता ६ शारीरिक योग्यता ७ संगीतात्मक योग्यता ८ यांत्रिक योग्यता ९ स्थान सम्बंधित विचार की योग्यता

2 थर्स्टन के अनुसार बुद्धि की 13 प्रकार की योग्यताएं होती  हैं जिनमेंाधित  9 को ही अधिक महत्वपूर्ण माना  गया है १. स्मृति २. प्रत्यक्षीकरण की योग्यता ३. सांख्यिकी योग्यता ४. शब्दिक योग्यता ५. तार्किक योग्यता ६. निगमात्मक योग्यता ७. अगमात्मक योग्यता ८. स्थान सम्बन्धी योग्यता ९. समस्या सम्बन्धी योग्यता

     

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