chapter 3 अनुवांशिकता एवं वातावरण का प्रभाव (Influence of Heredity and Environment)
अनुवांशिकता एवं वातावरण का प्रभाव
(Influence of Heredity and Environment)
वंशानुक्रम का अर्थ एवं परिभाषा सामान्यतः लोग समझते है की माता पिता के गुण उनकी संतान में आ जाते हैं इसका मातार्थ है की बच्चा रंग रूप , आकृति , विद्वता आदि में माता पिता पर जाता है | अर्थात बालक ापने माता पिता के शारीरिक व् मानसिक गुण प्राप्त करेगा यदि माता पिता विद्वान् होंगे तो बालक भी विद्वान् होगा | परन्तु यह देखा गया है की कई बार विद्वान् माता पिता की संतान मुर्ख होती है तथा मुर्ख पिता संतान विद्वान् होती है | इसका कारन यह की बालक को न केवाल अपने माता पिता के गुण प्राप्त होते हैं बल्कि अपने पहले के पूर्वजों के प्राप्त होते हैं | इसी को वंशानुक्रम , वंश परम्परा, पैतृकता , अनुसंशिकता के नाम से जानते हैं |
बी. ऐन. झा. के मतानुसार "वंशानुक्रम व्यक्ति जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है |"
पी जिसबर्ट के मतानुसार " प्रकृति में पीढ़ी का कार्य माता पिता द्वारा कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करना है | इस प्रकार विशेषताओं की मिली जुली गठड़ी को वंशानुक्रम कहते हैं | "
वुडवर्थ के मतानुसार " वंशानुक्रम में वे सभी बाते आजाती हैं जो जीवन का आरम्भ करते समय ,जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय व्यक्ति में उपस्थित थी "|
डगलस एवं हॉलैंड के मतानुसार "वंशानुक्रम में वे सब शारीरिक बनावटे , शारीरिक विशेषताएं , क्रियाएं एवंम क्षमताएं जिन्हे वह अपने माता पिता , पूर्वजों या फिर प्रजाति से प्राप्त करता है " |
जेम्स ड्रेवस के अनुसार "माता पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का उनकी संतानों में हस्तांतरण होना वंशानुक्रम कहलाता है " |
वंशानुक्रम के सिद्धांत
वंशानुक्रम एक रहस्यमयी विषय रहा है यह किन सिद्धांतों पर आधारित है यह विषय भी अध्यन करने योग्य है | वंश क्रम के निम्न कुछ सिद्धांत सबसे ज्यादा प्रचलित हैं
1. बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
2. समानता का सिद्धांत
3. विभिन्नताका सिद्धांत
४. प्रत्यागमन का सिद्धांत
५. अर्जित गुणों का सिद्धांत
६. मैण्डल का सिद्धांत
बालक पारवंशानुक्रम का प्रभाव पश्चिमी मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुक्रम के महत्त्व पर बहुत से अध्यन किये जिनसे यह सिद्ध होता है की व्यक्ति के हर पहलु पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है | कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं :
१. मूल शक्तियों का प्रभाव थार्नडॉइक का मत हैं की बालक की मूल शक्तियो का मुख्या कारण वंशानुक्रम है |
२. शारीरिक लक्षणों का प्रभाव कार्ल पियर्सन का मत है कि माता पिता की लम्बाई यदि काम है तो बालक की लम्बाई भी काम होगी | यदि अधिक है तो अधिक होगी |
३. व्यावसायिक योग्यता का प्रभाव कैटल के मत के अनुसार व्यावसायिक योग्यता का मुख्या कारन भी वंशानुक्रम है |
४. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव क्लीनबर्ग के अनुसार बुद्धि की श्रेष्ठता का मुख्य कारण प्रजाति है| इसी कारंण अमरीका के गोर लोग नीग्रो प्रजाति से अधिक श्रेष्ठ है |
५. सामाजिक स्थिति पर प्रभाव अनुसार प्रतिष्ठित की संतान भी समाज में सम्मान प्राप्त करती है |
६. चरित्र पर प्रभाव दगडेल के अनुसार चरित्रहीन माता पिता की संतान भी चरित्रहीन ही होती है
७. महानता पर प्रभाव गाल्टन के अनुसार"महान न्यायधीशों , उच्च पदाधिकारियों ,साहित्यकारों , वैज्ञानिकों तथा खिलाडियों के जीवन चरित्र से पता चलता है की इनके परिवार में इन्ही क्षेत्रो में कोई अन्य प्रशंसा प्राप्त व्यक्ति हुआ था |
वंशानुक्रम के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कोलसनिक ने कहा है जिस सीमा तक व्यक्ति की शारीरिक रचना को उसके पूर्वज निश्चित करते हैं उस सीमा तक उसके मष्तिस्क एवं स्नायु संसथान की रचना अन्य लक्षण , उसकी खेल कूद सम्बन्धी योग्यता , बातें वंशानुक्रम पर निर्भर है | वंशानुक्रम का प्रभाव जींस के कारण पड़ता है स्वस्थ मानसिक तथा बौद्धिक स्थिति वंशानुक्रम की ही देन है |
वातावरण का अर्थ एवं परिभाषा
वातावरण के लिये पर्यावरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है | पर्यावरण दो शब्दों से मिल कर बनता है पारी तथा आवरण | अर्थात चारों तरफ का आवरण| इसका अर्थ है की हमारे चारों तरफ जो भी कुछ हैं उन्हें वातावरण अथवा पर्यावरण कहते हैं | इसमें वह सब कुछ शामिल है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है |
मैकाइवर एवं पेज के मतानुसार " स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा , बीते हुए जीवन अथवा अतीत के वातावरण का फल है | वातावरण प्रारम्भ से यंहा तक की उत्पादक कोशों में शामिल होता है | "
ऐनास्ट्सि के मतानुसार " वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वास्तु को घेरे रखती है और उस वास्तु को सीधा सीधा प्रभवित करती है|
डगलस और हॉलैंड के मतानुसार "वातावरण शब्द का प्रयोग उन सभी बाह्य शक्तियों प्रभावों और दशाओं के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणियों के जीवन , स्वभाव , व्यव्हार बुद्धि के विकास और परिपक्वता पर प्रभाव डालतें है |
बालक पर वातारण का प्रभाव
अनेक अध्ययनों से पता लगता है की बालक हर पहलु पर भौगोलिक , सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव पड़ता है कुछ मनोवैज्ञानिकों ने वातावरण की निम्नलिखित परिभाषाें का वर्णन किया है
1. शारीरिक अंतर पर प्रभाव फ्रेंज बोन्स के अनुसार दुनिया की विभिन्न प्रजातियों का शारीरिक अंतर वंशानुक्रम के कारण न होकर वातावरण होता है |
2. मानसिक विकास पर प्रभाव गॉर्डन के अनुसार जिन बालकों को उचित सामाजिक तथा सांस्कृतिक वातावरण नहीं मिलता उनका मानसिक विकास भी अत्यंत धीमी गति से होता है |
3 प्रजाति की श्रेष्टता पर प्रभाव क्लार्क के अनुसार बौद्धिक श्रेष्टता का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है उसने यह बात अमेरिका के गोरे और नीग्रो लोगो की बुद्धि परीक्षा लेकर सिद्ध की | नीग्रो लोगो की बुद्धि कम इसीलिए है क्युकी उन्हें गोर लोगो क सामान शैक्षिक तथा सामाजिक वातावरण नहीं मिलता |
4 बुद्धि पर प्रभाव स्टीफ़ंस के अनुसार जिन बालको को निम्न वातावरण से हटाकर उत्तम वातावरण मे रखा जाता हे उन सबकी बुद्धि लब्धि में वृद्धि हो जाती हे
5 वयक्तित्व पर प्रभाव कूले के अनुसार वंशानुकरम की अपेक्षा वातावरण का वक्तित्व पर अधिक प्रभाव पड़ता है
6 अनाथ बच्चो पर प्रभाव अनाथालय में समान्त: निम्न परिवारों के बच्चे आते है उन्हें वंहा अच्छा वातावरण मिलता है जिस से वे अपने माता पिता से बेहतर बनते हैं |
7. जुड़वाँ बच्चों पर प्रभाव जुड़वाँ बच्चों अत्यधिक समानता पाई जाती है | न्यूमैन , फ्रीमैन और होल्जिंगेर ने 20 जोड़े बच्चो को अलग अलग वातावरण में रखा बाद में उनके व्यव्हार में भी अंतर पाया गया |
8. बालक पर बहुमुखी प्रभाव स्टीफंस अनुसार " इस प्रकार के अध्यनों से हम यह निर्णंय कर सकते हैं की वातावरण बुद्धि सामान्य प्रभाव डालता है और उपलब्धि पर विशेष होता है | बालक पर बहुमुखी प्रभाव वातावरण बालक मानसिक , शारीरिक , सामाजिक संवेगात्मक आदि सभी अंगों पर प्रभाव डालता है | एक बार एक बालक को भेड़िए ने उठा लिया था पोषण जंगल में हुआ कुछ शिकारियों ने उसे 1799 में पकड़ लिया | उसकी आकृति भी जानवरों के सामान हो गयी और वह जानवरों की भांति व्यव्हार करने लगा |
वंशानुक्रम और वातावरण का सम्बन्ध मैकाइवर और पेज ने कहा है की जीवन की प्रत्येक घटना दोनों का परिणाम होती है | कोई भी निश्चित परिणाम के लिए एक उतनी ही आवयश्क है जितनी दूसरी | इन्हे अलग नहीं किया जा सकता |
लैंन्डिस के अनुसार वंशानुक्रम हमे विकसित होने की क्षमताएं देता है और वातावरण अवसर देता है वंशानुक्रम हमे कार्यशील पूंजी देता है वातावरण हमे इन्हे निवेश करने का अवसर देती हैं |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. बच्चों के सिखने की प्रक्रिया में माता पिता को ...... भूमिका निभानी चाहिए।
१. नकारात्मक
२. अग्रोंमुखी
३. सहानुभूति पूर्ण
४. तटस्थ
2. वह कोन सा स्थान है जंहा बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को बेहतर तरीके से परिभाषित किया जाता है
१. खेल का मैदान
२. विद्यालय एवं कक्षा
३. सभासागर
४. घर
३. पृथक पृथक समजातीय समूहों के व्यक्तियों के प्रति बच्चों की अभिवृति सामान्यतः आधारित होती है
१. उनके अभिभावकों की चित्तवृत्ति पर
२. उनमे समकक्षीयों की अभिवृती पर
३. दूरदर्शन के प्रभाव पर
४. उनके सहोदरों की अभीवृत्ति पर
4. मानव विकास किन दोनों के योगदान का परिणाम है
१. अभभवक एवं अध्यापक के
२. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों का
३. वंशानुक्रम एवं वातावरण का
४. इनमे से कोई नहीं
5. किशोरावस्था के दौरान आत्मकेंद्रित संज्ञानों विकास इस विश्वास के साथ की वह लोगों के ध्यान केंद्र में है कहलाता है
१. अस्मिता निर्माण
२ अस्मिता संकट
३. किशोर आत्मकेंद्रिता
४. भूमिका भ्रान्ति
to be continue
(Influence of Heredity and Environment)
वंशानुक्रम का अर्थ एवं परिभाषा सामान्यतः लोग समझते है की माता पिता के गुण उनकी संतान में आ जाते हैं इसका मातार्थ है की बच्चा रंग रूप , आकृति , विद्वता आदि में माता पिता पर जाता है | अर्थात बालक ापने माता पिता के शारीरिक व् मानसिक गुण प्राप्त करेगा यदि माता पिता विद्वान् होंगे तो बालक भी विद्वान् होगा | परन्तु यह देखा गया है की कई बार विद्वान् माता पिता की संतान मुर्ख होती है तथा मुर्ख पिता संतान विद्वान् होती है | इसका कारन यह की बालक को न केवाल अपने माता पिता के गुण प्राप्त होते हैं बल्कि अपने पहले के पूर्वजों के प्राप्त होते हैं | इसी को वंशानुक्रम , वंश परम्परा, पैतृकता , अनुसंशिकता के नाम से जानते हैं |
बी. ऐन. झा. के मतानुसार "वंशानुक्रम व्यक्ति जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है |"
पी जिसबर्ट के मतानुसार " प्रकृति में पीढ़ी का कार्य माता पिता द्वारा कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करना है | इस प्रकार विशेषताओं की मिली जुली गठड़ी को वंशानुक्रम कहते हैं | "
वुडवर्थ के मतानुसार " वंशानुक्रम में वे सभी बाते आजाती हैं जो जीवन का आरम्भ करते समय ,जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय व्यक्ति में उपस्थित थी "|
डगलस एवं हॉलैंड के मतानुसार "वंशानुक्रम में वे सब शारीरिक बनावटे , शारीरिक विशेषताएं , क्रियाएं एवंम क्षमताएं जिन्हे वह अपने माता पिता , पूर्वजों या फिर प्रजाति से प्राप्त करता है " |
जेम्स ड्रेवस के अनुसार "माता पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का उनकी संतानों में हस्तांतरण होना वंशानुक्रम कहलाता है " |
वंशानुक्रम के सिद्धांत
वंशानुक्रम एक रहस्यमयी विषय रहा है यह किन सिद्धांतों पर आधारित है यह विषय भी अध्यन करने योग्य है | वंश क्रम के निम्न कुछ सिद्धांत सबसे ज्यादा प्रचलित हैं
1. बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
2. समानता का सिद्धांत
3. विभिन्नताका सिद्धांत
४. प्रत्यागमन का सिद्धांत
५. अर्जित गुणों का सिद्धांत
६. मैण्डल का सिद्धांत
बालक पारवंशानुक्रम का प्रभाव पश्चिमी मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुक्रम के महत्त्व पर बहुत से अध्यन किये जिनसे यह सिद्ध होता है की व्यक्ति के हर पहलु पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है | कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं :
१. मूल शक्तियों का प्रभाव थार्नडॉइक का मत हैं की बालक की मूल शक्तियो का मुख्या कारण वंशानुक्रम है |
२. शारीरिक लक्षणों का प्रभाव कार्ल पियर्सन का मत है कि माता पिता की लम्बाई यदि काम है तो बालक की लम्बाई भी काम होगी | यदि अधिक है तो अधिक होगी |
३. व्यावसायिक योग्यता का प्रभाव कैटल के मत के अनुसार व्यावसायिक योग्यता का मुख्या कारन भी वंशानुक्रम है |
४. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव क्लीनबर्ग के अनुसार बुद्धि की श्रेष्ठता का मुख्य कारण प्रजाति है| इसी कारंण अमरीका के गोर लोग नीग्रो प्रजाति से अधिक श्रेष्ठ है |
५. सामाजिक स्थिति पर प्रभाव अनुसार प्रतिष्ठित की संतान भी समाज में सम्मान प्राप्त करती है |
६. चरित्र पर प्रभाव दगडेल के अनुसार चरित्रहीन माता पिता की संतान भी चरित्रहीन ही होती है
७. महानता पर प्रभाव गाल्टन के अनुसार"महान न्यायधीशों , उच्च पदाधिकारियों ,साहित्यकारों , वैज्ञानिकों तथा खिलाडियों के जीवन चरित्र से पता चलता है की इनके परिवार में इन्ही क्षेत्रो में कोई अन्य प्रशंसा प्राप्त व्यक्ति हुआ था |
वंशानुक्रम के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कोलसनिक ने कहा है जिस सीमा तक व्यक्ति की शारीरिक रचना को उसके पूर्वज निश्चित करते हैं उस सीमा तक उसके मष्तिस्क एवं स्नायु संसथान की रचना अन्य लक्षण , उसकी खेल कूद सम्बन्धी योग्यता , बातें वंशानुक्रम पर निर्भर है | वंशानुक्रम का प्रभाव जींस के कारण पड़ता है स्वस्थ मानसिक तथा बौद्धिक स्थिति वंशानुक्रम की ही देन है |
वातावरण का अर्थ एवं परिभाषा
वातावरण के लिये पर्यावरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है | पर्यावरण दो शब्दों से मिल कर बनता है पारी तथा आवरण | अर्थात चारों तरफ का आवरण| इसका अर्थ है की हमारे चारों तरफ जो भी कुछ हैं उन्हें वातावरण अथवा पर्यावरण कहते हैं | इसमें वह सब कुछ शामिल है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है |
मैकाइवर एवं पेज के मतानुसार " स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा , बीते हुए जीवन अथवा अतीत के वातावरण का फल है | वातावरण प्रारम्भ से यंहा तक की उत्पादक कोशों में शामिल होता है | "
ऐनास्ट्सि के मतानुसार " वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वास्तु को घेरे रखती है और उस वास्तु को सीधा सीधा प्रभवित करती है|
डगलस और हॉलैंड के मतानुसार "वातावरण शब्द का प्रयोग उन सभी बाह्य शक्तियों प्रभावों और दशाओं के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणियों के जीवन , स्वभाव , व्यव्हार बुद्धि के विकास और परिपक्वता पर प्रभाव डालतें है |
बालक पर वातारण का प्रभाव
अनेक अध्ययनों से पता लगता है की बालक हर पहलु पर भौगोलिक , सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव पड़ता है कुछ मनोवैज्ञानिकों ने वातावरण की निम्नलिखित परिभाषाें का वर्णन किया है
1. शारीरिक अंतर पर प्रभाव फ्रेंज बोन्स के अनुसार दुनिया की विभिन्न प्रजातियों का शारीरिक अंतर वंशानुक्रम के कारण न होकर वातावरण होता है |
2. मानसिक विकास पर प्रभाव गॉर्डन के अनुसार जिन बालकों को उचित सामाजिक तथा सांस्कृतिक वातावरण नहीं मिलता उनका मानसिक विकास भी अत्यंत धीमी गति से होता है |
3 प्रजाति की श्रेष्टता पर प्रभाव क्लार्क के अनुसार बौद्धिक श्रेष्टता का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है उसने यह बात अमेरिका के गोरे और नीग्रो लोगो की बुद्धि परीक्षा लेकर सिद्ध की | नीग्रो लोगो की बुद्धि कम इसीलिए है क्युकी उन्हें गोर लोगो क सामान शैक्षिक तथा सामाजिक वातावरण नहीं मिलता |
4 बुद्धि पर प्रभाव स्टीफ़ंस के अनुसार जिन बालको को निम्न वातावरण से हटाकर उत्तम वातावरण मे रखा जाता हे उन सबकी बुद्धि लब्धि में वृद्धि हो जाती हे
5 वयक्तित्व पर प्रभाव कूले के अनुसार वंशानुकरम की अपेक्षा वातावरण का वक्तित्व पर अधिक प्रभाव पड़ता है
6 अनाथ बच्चो पर प्रभाव अनाथालय में समान्त: निम्न परिवारों के बच्चे आते है उन्हें वंहा अच्छा वातावरण मिलता है जिस से वे अपने माता पिता से बेहतर बनते हैं |
7. जुड़वाँ बच्चों पर प्रभाव जुड़वाँ बच्चों अत्यधिक समानता पाई जाती है | न्यूमैन , फ्रीमैन और होल्जिंगेर ने 20 जोड़े बच्चो को अलग अलग वातावरण में रखा बाद में उनके व्यव्हार में भी अंतर पाया गया |
8. बालक पर बहुमुखी प्रभाव स्टीफंस अनुसार " इस प्रकार के अध्यनों से हम यह निर्णंय कर सकते हैं की वातावरण बुद्धि सामान्य प्रभाव डालता है और उपलब्धि पर विशेष होता है | बालक पर बहुमुखी प्रभाव वातावरण बालक मानसिक , शारीरिक , सामाजिक संवेगात्मक आदि सभी अंगों पर प्रभाव डालता है | एक बार एक बालक को भेड़िए ने उठा लिया था पोषण जंगल में हुआ कुछ शिकारियों ने उसे 1799 में पकड़ लिया | उसकी आकृति भी जानवरों के सामान हो गयी और वह जानवरों की भांति व्यव्हार करने लगा |
वंशानुक्रम और वातावरण का सम्बन्ध मैकाइवर और पेज ने कहा है की जीवन की प्रत्येक घटना दोनों का परिणाम होती है | कोई भी निश्चित परिणाम के लिए एक उतनी ही आवयश्क है जितनी दूसरी | इन्हे अलग नहीं किया जा सकता |
लैंन्डिस के अनुसार वंशानुक्रम हमे विकसित होने की क्षमताएं देता है और वातावरण अवसर देता है वंशानुक्रम हमे कार्यशील पूंजी देता है वातावरण हमे इन्हे निवेश करने का अवसर देती हैं |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. बच्चों के सिखने की प्रक्रिया में माता पिता को ...... भूमिका निभानी चाहिए।
१. नकारात्मक
२. अग्रोंमुखी
३. सहानुभूति पूर्ण
४. तटस्थ
2. वह कोन सा स्थान है जंहा बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को बेहतर तरीके से परिभाषित किया जाता है
१. खेल का मैदान
२. विद्यालय एवं कक्षा
३. सभासागर
४. घर
३. पृथक पृथक समजातीय समूहों के व्यक्तियों के प्रति बच्चों की अभिवृति सामान्यतः आधारित होती है
१. उनके अभिभावकों की चित्तवृत्ति पर
२. उनमे समकक्षीयों की अभिवृती पर
३. दूरदर्शन के प्रभाव पर
४. उनके सहोदरों की अभीवृत्ति पर
4. मानव विकास किन दोनों के योगदान का परिणाम है
१. अभभवक एवं अध्यापक के
२. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों का
३. वंशानुक्रम एवं वातावरण का
४. इनमे से कोई नहीं
5. किशोरावस्था के दौरान आत्मकेंद्रित संज्ञानों विकास इस विश्वास के साथ की वह लोगों के ध्यान केंद्र में है कहलाता है
१. अस्मिता निर्माण
२ अस्मिता संकट
३. किशोर आत्मकेंद्रिता
४. भूमिका भ्रान्ति
to be continue
good blog
ReplyDeleteNice work...
ReplyDeletethank you
ReplyDeleteBahoot Saari Ashuddhiyan Hai Bhai.....
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteओर प्रश्न है
ReplyDeleteThank you
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ReplyDeleteAur prasm do
DeleteNice sar
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