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Showing posts from July, 2018

chapter - 9 समाज निर्माण में लैंगिक मुद्दे (Gender Issues in Social Construction)

click for भागवत गीता pdf file                      समाज निर्माण में लैंगिक मुद्दे         (Gender Issues in Social Construction) प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में पूर्ण व्यक्तित्व है। प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से अलग है और यही उसके जीवन का आधारभूत गुण है। एक ही परिवार के बच्चों में भी यह भेद देखा गया है.। मनुष्य के विकास में विभिन्न बुद्धिजीवियों तथा शासकों ने इन भेड़ों के आधार पर व्यास्थाबद्ध नियम बनाने की कोशिश की।  समाज निर्माण में लिंग की भूमिका  समाज को ध्यान पूर्वक देखने से पता चलता है कि सामाजिक और आर्थिक आधार पर लोगों की योग्यताओं में अनेक प्रकार के भेद पाए जाते हैं। संपन्न परिवारों में मंद बुद्धि बालक कम देखे गए हैं।वैसे इस प्रकार के बालक हर प्रकार के परिवार में पाए जाते हैं। आर्थिक स्तर को मापते समय इसे बौद्धिक सम्पन्नता से भी जोड़ा जा सकता है।  इस विषय पर हमारे मन में अनेक प्रश्न उठते हैं जैसे कि क्या अमीर इसलिए आमीर हैं क्योंकि वे पहले से अमीर हैं और गरीब इसलिए गरीब हैं क्य...

Chapter - 8 भाषा और विचार (Language and Thought)

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Chapter - 8 भाषा और विचार (Language and Thought) भाषा क्या है ? भाषा विचारो को अभिव्यक्त करने का मानव द्वारा निर्मित साधन है।  यह कोई अनुवांशिक क्रिया नहीं है यह बालक द्वारा अनुकरण एवं प्रयासों द्वारा ग्रहण की जाती है। विश्वकोष के अनुसार भाषा ध्वनि, प्रतीकों अथवा संकेतों की ऐसी व्यस्था है जिससे एक समूह के लोग आपस में विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं। htet786.blogspot.com अभिलक्षण  भाषा विचार व्यक्त करने का एक सांकेतिक साधन है। भाषा विचारों से सम्बंधित है। भाषा पैतृक संपत्ति नहीं है यह एक अर्जित संपत्ति है भाषा की कला अनुकरण द्वारा प्राप्त होती है। हर भाषा की अपमी सीमा होती है और अलग सरंचना होती है। भाषा सभ्यता तथा संस्कृति का हिस्सा है। भाषा शिक्षण के सिद्धांत 1. भाषा मिश्रण का सिद्धांत बालक जिस प्रकार के भी सामाजिक वातावरण में रहता है वह वंहा से स्वयं ही सीखना शुरू कर देता है। आरम्भ में बालक अनुकरण करके ध्वनियों को बोलना सीखता है। फिर बड़ों की बातों को समझ कर उनसे बात करने की कोशिश करता है। फिर वह उन करियों को करता है जिनमे उनकी रूचि होती है। मिश्रण क...